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गर्भावस्था में 1 से 9 महीने तक सेवनीय
नागकेशर, बंगभस्म आमलकी, यष्टिमधु, विहारीकंद, शतावरी,
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आयुर्वेद में गर्भ और गर्भीणी दोनों का स्वास्थ्य अच्छा रह सके उसके लिए बहुत सारे उपाय बताये गए हैं । आयुर्वेद के ग्रंथो में, प्रतिमाह गर्भावस्था में गर्भ का विकास होता रहे और साथ-साथ गर्भीणी का स्वास्थ्य भी बना रहे इसलिए विभिन्न औषधियाँ बताई गई है, जैसे की शतावरी, विदारीकंद, नागकेसर जैसी औषधियाँ गर्भ का पोषण कारके गर्भस्थ शिशु के सर्व अंगो का विकास करती है और साथ-साथ गर्भीणी को शारीरिक एवं मानसिक शक्ति प्रदान करती है । वर्षों के संशोधन कार्य के बाद चिकित्सा में उपयुक्त “गर्भपोषक कैप्सूल” हमारे संस्कृति गर्भसंस्कार केन्द्र में बहुत लाभप्रद सिद्ध हुई है ।
यह गर्भावस्था में प्रत्येक महीने में गर्भ का विकास तथा गर्भीणी के स्वास्थ्य का रक्षण करता है ।
ब्राह्मी, शंखपुष्पी, जटामासी, जैसी औषधियों से गर्भीणी का मन शांत होकर गर्भस्थ शिशु का मानसिक विकास होता है ।
यष्टिमधु, शतावरी जैसी औषधियों से गर्भीणी तथा गर्भ दोनों को पोषण मिलता है । गर्भावस्था में शक्ति प्रदान करता है, तथा कमजोरी को दूर करता है ।
नागकेसर गर्भ का पोषण करता है और शक्ति संरक्षण का कार्य करता है । गर्भावस्था में गर्भस्त्राव तथा गर्भपात होने से बचाता है ।
अश्वगंधा, विदारी कंद जैसी औषधियाँ शक्ति का संचार करके अशक्ति को दूर करती है ।
“गर्भपोषक कैप्सूल” गर्भाशय को मजबूत करती हैऔर बार-बार होनेवालें गर्भपात को रोकती है ।
गर्भावस्था में होनेवालें विकारो या तकलीफों में भी लाभदायी है ।









